संघर्ष और संन्यास: हॉकी की "गोल मशीन" रानी के संघर्ष व सफलता की कहानी
BREAKING
'चोली के पीछे क्या है' गाने पर डांस से दूल्हे की शादी टूटी; होने वाले ससुर को पसंद नहीं आया, गुस्से में तोड़ा रिश्ता, दूल्हा समझाता रह गया दुनिया के टॉप 10 शक्तिशाली देशों में भारत को जगह नहीं; Forbes ने लिस्ट में इन देशों को किया शामिल, अमेरिका की RANK क्या? महाकुंभ भगदड़ पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार; जनहित याचिका पर CJI ने की ये टिप्पणी, संसद में भी विपक्ष का जबरदस्त हंगामा हरियाणा में एनकाउंटर, 2 इनामी बदमाश मारे गए; पुलिस के साथ ताबड़तोड़ गोलीबारी, 1-1 लाख का इनाम था, पुलिसवालों को भी गोलियां लगीं अमेरिका को उत्तर कोरिया की वार्निंग; 'दुष्ट' कहे जाने पर तानाशाह किम जोंग उन की तरफ से दी गई ये चेतावनी, जानिए क्या कहा गया

संघर्ष और संन्यास: हॉकी की "गोल मशीन" रानी के संघर्ष व सफलता की कहानी

Struggle and Retirement

Struggle and Retirement

Struggle and Retirement: प्रतिभा और मेधा किसी की बपौती नहीं होती। जोश, जुनून और पक्के इरादे के साथ साथ बेहतर मार्गदर्शन मिले तो साधारण से साधारण व्यक्ति भी न केवल अपने लिए बल्कि अपने देश और समाज के लिए बहुत कुछ कर गुजरता है। हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के छोटे से कस्बे शाहबाद मारकंडा मे 1994 मे बहुत ही गरीब परिवार में पैदा हुई बेटी रानी रामपाल ने गरीबी , तंगहाली और समाज के तानों का मुंह तोड़ते हुए अपना ही नहीं बल्कि देश का नाम रोशन किया और नारी जगत के लिए प्रेरणा बनी।

बात  महिला हाकी टीम की पूर्व कप्तान और हाकी की "गोल मशीन" कही जाने वाली रानी रामपाल की ही‌ है,  जिन्हेने गत 24 अक्टूबर को  हाकी से संन्यास लेने की घोषणा की है। याद रहे उन्होने हाकी खेलने से संन्यास लिया है, हाकी खिलाने से नहीं, क्योंकि वो इस समय भारत की जूनियर महिला हाकी टीम की कोच हैं। अब रानी रामपाल गोल नहीं करेंगी बल्कि नई गोल मशीन तैयार करने का काम करेंगी।

रानी रामपाल जिस त्याग तप्स्या और कठोर परिश्रम के बाद इस मुकाम पर पहुंची हैं ,जो आज के युवाओं विशेष कर महिलाऔ के लिए प्रेरणा दाई है। उनके पिता रामपाल ठेला- रेहड़ी चलाकर परिवार का पालन पोषण करते थे और उनकी माता लोंगों के घरों में काम करती थी।

रानी रामपाल कहती हैं कि बचपन में उनके घर में गरीबी के चलते कई बार जब एक टाईम की रोटी मिल जाती तो दूसरे टाइम की रोटी की आस नहीं होती थी। इस प्रकार से वो बचपन में कुपोषण का शिकार भी रहीं।  इसके कारण ही बचपन में रानी रामपाल शरीर से बहुत दुबली पतली थीं। 

उन्होने पड़ोसी के घर पर टी‌ वी पर जब हाकी मैच देखा तो उनके मन में हाकी के प्रति जनून पैदा हो गया। अगले ही दिन शाहबाद मारकंडा के हाकी स्टेडियम में हाकी खेलने के लिए द्रोणाचार्य अवार्डी कोच बलदेव सिंह के पास पहुंची, तब कोच बलदेव सिंह ने कहा था कि आप बहुत दुबली पतली हैं, हॉकी कैसे खेल पाओगी,  फिर भी कोच बलदेव सिंह ने उन्हें हौंसला दिया और उत्साहित किया। इसके बाद रानी ने हॉकी स्टिक पकड़ी और अपने कोच बलदेव सिंह से हॉकी की बारीकियां सीखी।

 रानी रामपाल का कहना है कि बलदेव सिंह ने उनकी जिंन्दगी बदल दी, और उनके द्वारा सिखाए गए हाकी के गुर की बदौलत उन्हें 14 वर्ष की आयू में 2008 में इंडियन जर्सी  पहनने का मोका मिला और हॉकी में डेब्यू किया। यह हर भारतीय खिलाड़ी का सपना होता है। इसके बाद रानी रामपाल नें पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2010 में भारत की जूनियर हाकी टीम मैं देश के लिए खली।  2017 के एशियन कप में गोल्ड , 2018 में सिल्वर और 2020 में इंडिया के लिए  मेडल जीते।  भारतीय टीम की कप्तान के रूप में  टोकियो ओलंपिक 2020 मैं भाग लिया। हालांकि भारतीय महिला हॉकी टीम मैडल जीतने से चूक गई और टीम को चौथे स्थान पर संतोष करना प़ड़ा।

 रानी रामपाल आगे कहती हैं कि जीवन में उन्हें सबसे ज्यादा गर्व तब हुआ जब 2020 वे अपने पिता के साथ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी से मिली थी। "प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मेरे पिता जी को सीने से लगाकर कहा था मुझे रानी से भी ज्यादा आप पर गर्व है, क्योंकि जो आपने अपनी बेटी के लिए किया है वो हर बाप अपनी बेटी के लिए करे।"
रानी को अपने जीवन में खेल के दौरान कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था 

शुरूआती दौर में इंजरी के चलते लोंगों ने यहां तक कह डाला था कि रानी शायद ही अब हाकी खेल पाए। इतना ही नहीं समाज के कई प्रकार के ताने सहने पड़े। इसके बावजूद उन्हेने हाकी खेली और 254 बेहतरीन हाकी मैच खेले तथा अंतराष्ट्रीय मैचों 205  गोल किए, तभी तो रानी रामपाल को हाकी की गोल मशीन कहा जाता है। 
रानी रामपाल को 2020 में भारत सरकार द्वारा मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उसी वर्ष देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पदम श्री से भी सम्मानित किया गया।अपनी इस सफलता में रानी रामपाल उड़ीसा , हरियाणा और भारत सरकार के साथ साथ भारतीय खेल प्राधिकरण (SPORTS AUTHOREITY OF INDIA)  का भी महत्व पूर्ण योगदान मानती हैं और धन्यवाद प्रकट करती हैं।

रानी ने गत 24 अक्टूबर  को 30 साल की उम्र में 16 साल के खेल करियर के बाद भावुक होते हुए हाकी खेल से संन्यास लेने ‌की घोषणा कर सबको चौंका दिया। उन्होने महिला हाकी इंडिया लीग में  कोच के रुप में नई पारी का आगाज करने का भी एलान किया है। हाकी की गोल मशीन कही जाने वाली रानी रामपाल अब खुद मशीन न बनकर नई गोल मशीन तैयार करेंगी।

रानी रामपाल का कहना है कि जब वे अपने शाहबाद मारकंडा  आती है तो लोग अपनी बेटियों को कहते हैं कि तुम्हें भी रानी जैसा बनना है। यह सुनकर ऐसा  लगता है कि मैं अपने मकसद में कामयाब हो गई हूं। उनका कहना है कि वे हर माता-पिता से यही गुजारिश करेंगी कि वे अपनी बेटियों को उनके सपने पूरे करने का अवसर दें। एक दिन आपको उन पर गर्व होगा और इस प्रकार से आगे और कई रानी पैदा होगीं, जो विभिन्न क्षेत्रों में देश का नाम रोशन करेंगी।
लेखक की तरफ से रानी रामपाल को हार्दिक शुभकामनाएं!